Wednesday, May 30, 2018

हवा में आज नमी है

मेरे शब्दकोश में रह गये हैं
अंतिम तीन शब्द
ये तीन शब्द प्रयोग में आते हैं
विदा लेते समय |
अब न कहना कि
पता नहीं तुम्हें
रात के इस पहर में
बहुत नीरवता है मेरे कमरे में
हवा में आज नमी है
तापमान में यह गिरावट अचानक आयी है
बदलाव अच्छा है
किन्तु मौसम का यह बदलाव टिकाऊ कभी नहीं रहा
मैं मध्यम वालूम में सुन रहा हूँ
उस्ताद राशीद खान के स्वर में
राग झिंझोटी.....
चांदनी रात में देखा है कभी
शांत रेगिस्तान को
महसूस किया है कभी
उसकी ख़ामोशी को !
यह कविता बन गयी है शायद ...
देखो पढ़ कर
महसूस करो मेरे भीतर फैले
रात के निशब्द मरुस्थल की पीड़ा ...
मान लो आज फिर
मुझे,
तुम अपना कवि....!


रचनाकाल :31 May 2016 at 00:40 

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