अणु - अणु से बना
आदमी अब -
परमाणु खायेगा
परमाणु देखेगा
परमाणु सोयेगा
भारतीय किसान खेतों में अब शायद
परमाणु ही बोयेगा .
एक कार्बाइड ने
जलाया था भोपाल
एक ही रात में मर गए थे
हजारों नन्हे गोपाल
अब परमाणु की बारी है
अब भोपाल नही
सिर्फ गोपाल नही
शायद जलेगा सारा देश
किसकी मज़ाल,
किसकी औकात
कौन करेगा
इन व्यापारिओं पर केस ?
किसे याद है
हिरोशिमा - नागासाकी के
वे मौत के भयानक चित्रों का
कौन समझाए इन्हें
गहरी साजिस
इन व्यापारी मित्रों का ?.
लेकर घुसे पिज्जा
बनना चाहते हैं जीजा
पेप्सी - कोक का ज़हर बनाकर
कहते हैं -
ठंडा समझ कर पी-जा .
मोह लिया है "मन"
मोहन का
कितना अच्छा उपाय खोजा है
भारतीयों के दोहन का .
बांसुरी नही आज
मोहन के पास
मन में बजता है सीटी
एकदम से रुक जायेगा
जब आयेगा सीटीबीटी.
Tuesday, August 31, 2010
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
बिलकुल ताजा-तरीन घटनाओं पर आधारित आपकी कविता एकदम सटीक और अच्छा ........बढ़िया
ReplyDeleteIt was heart felt emotion which so called hypocrites seem to avoid.
ReplyDeleteThe question to me is how and why did it happened but what do we do to stop that for ever.
Regards
Rax.
this is the best of Nitya - anu anu ...parmanu..great job done.
ReplyDeletebahut badia Nityanand kavi samrat ji....bas is kavita ko pura des ke pas pauchna chaie....tavi jagega hamara desu...
ReplyDeletewah wah kya baat hai ..... ye hui na mere frd jaisi baat ..... really m feeling proud that u r ma frd .... vandana
ReplyDeleteGreat combination of Anu and Parmanu... bahut hi badhiya likha hai Nitya bhaiya :)
ReplyDeleteचिंता न करें वैज्ञानिकों ने परमाणु की गोलियाँ बना ली हैं। अब न तो अनाज सड़ेगा, न ही मिलावट खोरों का धंधा चलेगा। अब हर कोई एक – एक गोली खाकर परमाणु बम बन जाएगा। जब प्राणी ही न होगा कौन उगाएगा और कौन पचाएगा। अतः यह कविता विशेष परमाणु बम है इसका विस्फ़ोट करिये और मज़े करीये। ख़ुद भी जीना सीखिये, औरों को भी जीने दीजिये। डॉ. अभिजित् सहायक प्राध्यापक दर्शन शास्त्र विभाग हैदेराबाद विश्व विद्यालय
ReplyDeletehey Nityanand....yeeh sirf aap ki hi nahi hum sabi ki samvedna hai.............all the best boss...........niraj
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