Sunday, August 1, 2010

आज भी

नदियों का यह  देश 
भारत आज 
सूखा पड़ा है
शरतचंद्र  का "गफूर "
आज भी -
इस देश में भूखा पड़ा है .
उनका "महेश "
आज घुसता नही 
किसी के खेत के भीतर 
घुस गए हैं  सब महेश  आज
विदेशी कंपनियों के भीतर .


गाँधी जी के देश में
अब राज्य बचे हैं केवल
राम गायब हैं
 नेता जीवित हैं 
हाथों में लेकर -
नए राज्यों की मांग का लेवल .


"निराला जी " की 
इलाहबाद  की औरत
आज भी तोड़ रही है  "पत्त्थर "
उसकी हालत आज
पहले से भी ज्यादा  हो गयी  है  बदतर .


"मुंशी जी " का 'होरी '
अब -  नही चाहता 'गोदान'
वह चाहता है मिले उसे  आजाद भारत में 
दो वक़्त की "रोटी का वरदान "


बहुत रॉकेट भेजा तुमने 
अबतक चाँद पर 
लेन उसका पानी  ज़मीन पर 
दयाहीन होकर 
किसान मर रहे हैं यहाँ 
भूमिहीन होकर .


केदारनाथ जी  का 'मजदूर '
आज भी -
जल रहा है , तप रहा है 
और -
दानियों का यह देश  आज 
 हाथ फैलाये  भाग रहा है .

No comments:

Post a Comment

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...