'नारी' केवल
एक शरीर मात्र नही है
नारी केवल
एक 'शब्द' मात्र नही है
यह केवल एक उपदेश मात्र नही है.
शक्ति की उपासना
तो करते हो न ?
क्या सिर्फ
मिटटी की प्रतिमा ही पूजते हो ?
नारी से हट कर
शक्ति है कहीं ?
पुछ कर देखो
दिलों - दिमाग से
क्या ज़बाव मिला ? नही .
देह से हटकर
आत्मा से जुड़कर
देखो उसे एकबार
माँ दिखी होगी तुम्हे
स्त्री दिखी होगी तुम्हे
इन्सान तो हो न ?
हैरान किउन हो -
नारी की बात पर
संसद में उसे
स्थान नही देना चाहते
घर में , मन में
कंही नही रखना चाहते
सिर्फ बिस्तर पर चाहते हो
स्तन से हटकर
मन तक जाओ
सिद्ध हुआ -
तुम पुरुष हो
आदमी हो केवल
हटाकर देखो
अपने ऊपर से यह लेवल
इन्सान हो
सिद्ध तो करो इस बात को .
Friday, August 6, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
-
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
-
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
-
गाँधी ने पहनी नहीं कभी कोई टोपी फिर उनके नाम पर वे पहना रहे हैं टोपी छाप कर नोटों पर जता रहे अहसान जैसे आये थे बापू इस देश मे...
sateek sanvedana !!! badhaai !!!
ReplyDeleteपुरुष में पौरुष नहीं। मन में भावना नहीं। बुद्धी को उपभोक्तावाद ने संमोहीत कर रखा है। मात्रित्व नहीं सेक्स नारी का हथियार है। पुरुष ही नहीं नारी भी नारी का शोषण कर रही है। संसद एक अखाड़ा वन चुका है। अभी जूते चलते है, तब चप्पले भी जुड़ जाएंगी। बढीया है लिखते रहो। डॉ अभिजित् जोषी हैदेराबाद विश्व विद्यालय
ReplyDeletebahut khoob likha hai aapne...aapki samvedna ko salam...
ReplyDelete