सफेद पोशाक का चोला ओड़ कर
शैतान घुमे हैं आंगन में
अशुर भी आज शर्मसार है
इन्सान की ऐसी हरकतों से
जिधर देखो लहू के प्यासे
...लम्बी तिलक
लम्बी दाड़ी
सिर पर टोपी और
कुछ अस्त्रधारी
बेरोजगार सब घुमने वाले
पड़ गए हैं इनके पाले
कौन जाने इनके मन के जाले
न राम जाने न रहीम जाने
किसी का कहना कभी न माने
अब क्या हो ऊपरवाला जाने
सावधान रहना इनसे
मुंह मत लगना इनके
यह कब हुए किसी के ?
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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