किसान तुम फसल उगाओ
हम उसे बेचेंगे
मुनाफा कमाएंगे
हवाई यात्रा करेंगे
बच्चों को घुमायेंगे
चिंता मत करो
तुम्हे -
कर्जा हम दिलवायेंगे
तुम सिर्फ व्याज भरते रहना
जीवनभर यूँ ही मरते रहना
अपना काम करते रहना
हमारा क्रिकेट देखते रहना
किन्तु एक काम करना
हमसे कभी
रोटी मत मांगना
--तुम्हारा कृषि मंत्री
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
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एक नदी जो निरंतर बहती है हम सबके भीतर कहीं वह नदी जिसने देखा नही कभी कोई सूखा वह नही जिसे प्यास नही लगी कभी मैं मिला हूँ उस ...
ReplyDeleteहॉट सेक्शन अब केवल अधिक 'पढ़े गए' के आधार पर कार्य करेगा
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एक अछे लेखन के लिए बधाई ...किसान सही माने में त्रासदी में जी रहे है ...आपने खूबसूरती से इसे दर्शा दिया है .....
ReplyDeletebahut khoob...achha prahaar kiya hai aapne mantriyon par..:D
ReplyDeletebadhai .