Thursday, February 17, 2011

और मुझे याद आये खुदीराम बोस

खुदीराम बोस
आज फिर याद आये मुझे 
खबर पढकर कि--
आज एक किसान ने फिर लगा ली फांसी/

मैंने दिल्ली में यह सूचना भेजी कि 
फिर एक किसान ने 
लगा ली है फांसी 
और मुझे याद आये खुदीराम बोस 
सूचना पढकर 
वे हंसे-
रावण की हंसी 
फिर व्यंग किया -
किसान और खुदीराम ?
संसद मार्ग पर खड़े 
रावणों का चेहरा सोचने लगा मैं 
सहसा अपनी भूल का अहसास हुआ 
क्यों भेजी मैंने 
यह सूचना दिल्ली की लंका में 
रावणों के इस दल में 
कोई विभीषण  भी तो नहीं आज 
पता चल गया मुझे 
क्यों चले गए 
शरतचंद्र  और प्रेमचंद //

3 comments:

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