यह आत्मगान का दौर है
खुले स्वर में गा रहे हैं
अपना -अपना राग
वाह -वाही की लूट है
उठा -पटक
छल -कपट
सब जायज है
आत्मगान
यानी खुद की स्तुति
खुले स्वर में गा रहे हैं
अपना -अपना राग
वाह -वाही की लूट है
उठा -पटक
छल -कपट
सब जायज है
आत्मगान
यानी खुद की स्तुति
अच्छा कटाक्ष
ReplyDeleteShukriya Rashim Prabha jee.
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