कब तक देखूँगा तमाशा
मूक ,
निशब्द
मूर्ति बनकर
मूर्छित चेतना
निरंकुश व्यवस्था
कबतक सहेंगे
हम ये व्यवस्था ?
आओ उठाये
क्रांति मशाल
हम भी धरे रूप विशाल
स्थापित करे कोई नई मिसाल .................
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
Wah, Bahut khoob...
ReplyDeleteiraade nek...prarambh ho
सुंदर ... एक मिशाल अन्ना ने उठाई है ... आओ उसे पकडे ... गिरने न दे
Deleteसुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआभार !
यह शांति है
ReplyDeleteकिसी संभावित अशांति की,
संभावित क्रांति की,
अभी यह केवल एक भ्रांति है।