गंगा अभी
शांत है,
किन्तु गर्म है
धूप से |
नावे थके हुए
मजदूरों की तरह
किनारे पर पड़ी हैं |
तापमान गिरने के साथ
गंगा की छाती पर
फिर करेंगे
ये सभी जलक्रीड़ा|
विनम्र होने पर
अपने भी चीर देते हैं सीना .....
किन्तु गर्म है
धूप से |
नावे थके हुए
मजदूरों की तरह
किनारे पर पड़ी हैं |
तापमान गिरने के साथ
गंगा की छाती पर
फिर करेंगे
ये सभी जलक्रीड़ा|
विनम्र होने पर
अपने भी चीर देते हैं सीना .....
विनम्र होने पर
ReplyDeleteअपने भी चीर देते हैं सीना .....
....बहुत गहन और सुन्दर प्रस्तुति...
अपने ही चीरते हैं सीना
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