चाँद
पूछता है :
‘कैसी यात्रा है |
किससे मिले ,
किसे भर मन से
गले लगाया ?
किसकी खोजी
जीवन धारा
दिल भर आया |’
चाँद
भरे मन से
कोहरे में
डूबा....
८/०५/१२
५:१८ सुबह
--विष्णुचंद्र शर्मा
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
आह.........
ReplyDeleteबहुत सुंदर..............