Tuesday, July 17, 2012

.तब कहीं पनाह न मिलेगी हमें ......


वे सारी चट्टानें
जिन्हें तोड़ा गया
मशीन की चोट से
बेजान समझकर
जिनके जन्म स्थान पर
खड़ी  हो गई
गगनचुम्भी इमारतें
वे चट्टानें, जिनके
टुकड़े –टुकड़े कर
बिछा दिया है 
जमीन पर
चीख उठेंगे एक दिन
अपनी सम्पूर्ण पीड़ा के साथ
 तब हम हो जायेंगे
बहरे, गूंगे और अंधे
फिर एक बार ..

वे सभी वृक्ष
जिन्हें काट दिया हमने
बेरहमी से
विकास के नाम पर
वे सभी पक्षी
छीन लिए जिनके
 आशियाने हमने
अपने सुख की  खातिर
कर देंगे विद्रोह
भयानक रूप लेकर 

तब हम भागते फिरेंगे
अपने जीवन के लिए
पर ..तब कहीं
पनाह न मिलेगी हमें ......


5 comments:

  1. तब हम भागते फिरेंगे
    अपने जीवन के लिए
    पर ..तब कहीं
    पनाह न मिलेगी हमें ......

    जितनी जल्‍द समझ लें उतना अच्‍छा है ..
    एक नजर समग्र गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष पर भी डालें !!

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  2. वक्त की मांग के अनुसार अभिव्यक्ति...
    वे सभी वृक्ष
    जिन्हें काट दिया हमने
    वे सभी पक्षी
    छीन लिए जिनके
    आशियाने हमने
    कर देंगे विद्रोह......बेहतर अभिव्यक्ति...

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  3. वे सभी वृक्ष
    जिन्हें काट दिया हमने
    बेरहमी से
    विकास के नाम पर
    वे सभी पक्षी
    छीन लिए जिनके

    आशियाने हमने
    अपने सुख की खातिर
    कर देंगे विद्रोह
    भयानक रूप लेकर


    तब हम भागते फिरेंगे
    अपने जीवन के लिए
    पर ..तब कहीं
    पनाह न मिलेगी हमें ...... आरम्भ हो चुका है

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