सुनो बच्चियों
तुमने क्या गाया काश्मीर की वादियों में
कि मलाल के बाद
अब तुम हो निशाने पर
लेकिन सुनो
इन्हें खूब शौक है
कब्बाली का ..
पर तुम तो
अपना ही गीत गाना
उन्मुक्त स्वर में
ताकि बहारें बनी रहे
इन फिज़ाओं में ,और
महकते रहे गुलशन
देखा है न
पहाड़ों को
किस तरह खड़े हैं अडिग ...?
(काश्मीर की उन बच्चियों के हक़ में ..जिन्हें रोका जा रहा है गाने से )
तुमने क्या गाया काश्मीर की वादियों में
कि मलाल के बाद
अब तुम हो निशाने पर
लेकिन सुनो
इन्हें खूब शौक है
कब्बाली का ..
पर तुम तो
अपना ही गीत गाना
उन्मुक्त स्वर में
ताकि बहारें बनी रहे
इन फिज़ाओं में ,और
महकते रहे गुलशन
देखा है न
पहाड़ों को
किस तरह खड़े हैं अडिग ...?
(काश्मीर की उन बच्चियों के हक़ में ..जिन्हें रोका जा रहा है गाने से )
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