मैंने पढ़ी थी
सिर्फ एक कविता 'विद्रोही ' कवि की
'बलो वीर '
उन्होंने कहा -
देशद्रोही मुझे
मुझे आई हंसी
और उन्हें क्रोध ....
सिर्फ एक कविता 'विद्रोही ' कवि की
'बलो वीर '
उन्होंने कहा -
देशद्रोही मुझे
मुझे आई हंसी
और उन्हें क्रोध ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
gagar men sagar.
ReplyDeleteये तो होना ही था ...
ReplyDeleteशुक्रिया मृदुला जी , दिगम्बर जी
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