आम के पेड़ पर
जब आकर बैठी गोरैया
मोर ने पंख फैलाये
और कोयल ने सुनाया गीत मधुर
मचल उठा वसंत अंग –अंग में
भर गये जीवन में कई रंग
सरसों के खेतों ने लहरा कर गाया
स्वागत गीत ..
वाणी की वीणा ने छेड़ा नया
राग
हवा ने नृत्य किया मचल –मचल
कर
मुस्कुराया सूर्य
रात की रानी ने महका दिया
रात ..
वसंत ने कहा –
मुझे बैठा लो तुम सब मुझे
अपने दिलों में
और करो मेरा विस्तार ....
vasant ki itni khoobsurat vyakhya!
ReplyDeletenice one!!