Thursday, March 7, 2013

महिला दिवस की हार्दिक बधाई के साथ


अपने ही मुद्दों से  
जुड़े सवालों पर वे बिखरे -बिखरे से हैं 
जहाँ होना था एकजुट 
वे टूटे हैं 
या तोड़े गये हैं 
कुछ ने तो राजनीति की 
जमकर 
और कुछ ने भटकाया है 
हक की लड़ाई यूँ नही लड़ी जाती
गुटों में बंट कर

हाथ की उँगलियों को जोड़कर
मुट्ठी बनाकर देखिये ,
कितनी मजबूत है

ये जो टीवी पर दिखाकर
कहानी घर -घर की
नारी को नारी से लड़ाने की साज़िस
सोचिये इस प्रश्न को कभी फुर्सत से

हक कोई देता नही किसी को
आसानी से
लड़कर लेना होगा
वजूद का सवाल जो है 


दिया हुआ हक छीन लें कब कोई 
ये भी किसे खबर ...?

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