सागर ने कहा नहीं
नदी से अपनी बेचैनी
देखने वालों ने
लहरों को टूटते देखा
तट पर
नदी ने कही नही
विरह की पीड़ा
बहती रही लगातर
बांध बना कर रोक दिया
नदी की प्रवाह को
नदी से अपनी बेचैनी
देखने वालों ने
लहरों को टूटते देखा
तट पर
नदी ने कही नही
विरह की पीड़ा
बहती रही लगातर
बांध बना कर रोक दिया
नदी की प्रवाह को
मुझे तुमसे मिलने नहीं दिया
अपने ही लोगों ने
अपने ही लोगों ने
यह मेरी -तुम्हारी कहानी है
कोई क्या समझेगा
प्रेमियों की व्यथा
कोई क्या समझेगा
प्रेमियों की व्यथा
प्रेम अपराध है उनके लिए
क्यों कि
वे खुद वंचित हैं
प्रेम से ..
क्यों कि
वे खुद वंचित हैं
प्रेम से ..
अब इस देश में
प्रेम निरोधक दस्ते बनने लगे हैं
चलो हम मिलेंगे ऐसी जगह पर
जहाँ चाँद को भी रहेगा इंतज़ार
हमारे मिलन का |
प्रेम निरोधक दस्ते बनने लगे हैं
चलो हम मिलेंगे ऐसी जगह पर
जहाँ चाँद को भी रहेगा इंतज़ार
हमारे मिलन का |
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