Sunday, February 20, 2011

सारा दोष सागर का है

वो देखो फिर निकल पड़ी है औरतें 
कमर और सर पर लिए गागर 
पानी की तलाश में 
और दिल्ली में हो रही है बैठक
पेयजल समस्या पर 
और अफसरों के सामने रखा हुआ है 
सील बंध बोतलों में पानी 
बैठक के बाद
घोषणा हुई
सारा दोष सागर का है
सारा पानी खींच लेता है 
हमारी नदियों का 
और किसान डाल देता है 
अपने खेतों में 
और अब योजना आयोग के अधिकारियों ने 
निर्णय लिया है 
बैठक में 
चेरापूंजी में भी अब 
तालाब खुदवाये जायेंगे 
अगली पंचवर्षीय योजना के तहत .//

5 comments:

  1. यही तो हो रहा है....
    दिल्ली में हो रही है बैठक
    पेयजल समस्या पर
    और अफसरों के सामने रखा हुआ है
    सील-बंद बोतलों में पानी ....
    अच्छा है...नित्यानंद जी...

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  2. बहुत सुंदर रचना ... बधाई

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  3. लगता है कि ये लोग साग़र में डूबे हुए है। मुद्रा साग़र में। सागर समुद्र है और साग़र ग में नुखता वाला साग़र शराब डॉ. अभिजित हैदेराबाद

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  4. वाह! क्या सोच है...अति सुंदर रचना...

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  5. Main aapaki rachana par apani tippani kya doon Param Bandhuvar Nityanandji?? Thodi hi der pahile Kuchh shabdon ke madhyam se siyasi haalaat ko ukerane ka prayas kiya hai, ye lijiye samarpit hai:
    क्या खूब उकेरा है तस्वीर-ए-सियासत,
    कराह-ए- मुफ़लिशी भी बगावत अंजाम देते हैं!
    जर्रा जर्रा में है जो समाया
    स्याह कोठरी में भी रौशन का निजाम देते हैं!!
    बहुत सुन चुका तेरी ये बक बक
    मत कुरेद, हड्डियाँ भी दधीचि का पैगाम देते हैं !!

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  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...