इन काले बादलों के पीछे
जो नीला आकाश है
वह मेरा है
जरा भी
विचलित नहीं हूँ मैं
इन काली घटाओं की भीड़ से
हवा के एक झोंके की
प्रतीक्षा है मुझे .
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
बहुत सुंदर कविता ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..आशावादी दृष्टिकोण
ReplyDelete....वाक़इ सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सोच और उसकी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआप सभी का तह दिल से धन्यवाद .
ReplyDeleteITS IS REALLY ULTIMATE way of life
ReplyDeletebhaut achchha likhte hai aap....ati sundar
ReplyDeleteशुक्रिया आपका .
ReplyDeletebeautiful...lines...filling energy
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