और एकदिन पड़ा रहूँगा
किसी सड़क पर
सूखे हुए किसी पत्ते की तरह
जानता हूँ
किसी सड़क पर
सूखे हुए किसी पत्ते की तरह
जानता हूँ
भविष्य का आभास होते हुए भी
विचलित नहीं हुआ हूँ अबतक
ये उस प्रेम का कमाल है शायद
जिसकी कल्पना के दायरे में
केवल तुम्हारा चेहरा है
विचलित नहीं हुआ हूँ अबतक
ये उस प्रेम का कमाल है शायद
जिसकी कल्पना के दायरे में
केवल तुम्हारा चेहरा है
हक़ीकत से वाकिफ़ होते हुए भी
बहुत रूमानी लगता है मुझे
मेरे प्रेम की काल्पनिक दुनिया |
बहुत रूमानी लगता है मुझे
मेरे प्रेम की काल्पनिक दुनिया |
बिजुरी / २३ जनवरी २०१६
बहुत बढ़िया
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