Tuesday, October 27, 2015

बेचैन थी नदी

नदी पार करते हुए
मैं सोच रहा था तुम्हें
बेचैन थी नदी
और उदास था मैं
उम्मीद है
तुम समझोगी वो अनकही
-तुम्हारा कवि ...
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चित्र : गूगल  से साभार 


1 comment:

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