यहाँ हर अपराध को घृणित और निंदनीय
कह कर हम सब
अपने सामाजिक कर्तव्य से छुटकारा पा लेते हैं
न तो अपराध के कारणों की तलाश करते हैं
न ही भविष्य में उसके रोकथाम पर सोचने का वक्त निकाल पाते हैं
दरअसल हमने कभी अपने किसी भी दायित्व को ठीक से जाना -समझा नहीं
कह कर हम सब
अपने सामाजिक कर्तव्य से छुटकारा पा लेते हैं
न तो अपराध के कारणों की तलाश करते हैं
न ही भविष्य में उसके रोकथाम पर सोचने का वक्त निकाल पाते हैं
दरअसल हमने कभी अपने किसी भी दायित्व को ठीक से जाना -समझा नहीं
मैं यहाँ आपको नैतिकता या सामाजिक दायित्व पर
कोई ज्ञान नहीं दे रहा हूँ
क्यों कि उसके लिए जो ज्ञान और समझ चाहिए
वह मेरे पास नहीं है अभी
मैं चाहता हूँ बस थम जाए पतन इंसानी समाज का
और मनुष्य सचमुच का मनुष्य बन जाये
विकास के लिए शोषण की अनिवार्यता समाप्त हो जाये
हिंसा नहीं , बल्कि प्रेम का विस्तार हो |
कोई ज्ञान नहीं दे रहा हूँ
क्यों कि उसके लिए जो ज्ञान और समझ चाहिए
वह मेरे पास नहीं है अभी
मैं चाहता हूँ बस थम जाए पतन इंसानी समाज का
और मनुष्य सचमुच का मनुष्य बन जाये
विकास के लिए शोषण की अनिवार्यता समाप्त हो जाये
हिंसा नहीं , बल्कि प्रेम का विस्तार हो |
पर सवाल है कि
ये सब कैसे हों
कौन करे पहल ?
ये सब कैसे हों
कौन करे पहल ?
इन सवालों का जवाब कहीं और से नहीं
खुद से लेना होगा सबको |
खुद से लेना होगा सबको |
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