Saturday, May 13, 2017

मुझे तुमने कवि माना चुपके से !

मेरी नींद उड़ गयी !
क्यों ?
पड़ोसी मुल्क में एक धमाका हुआ
25 मरे
कश्मीर में पड़ोसी मुल्क के सैनिकों ने
गोलीबारी की
एक माँ शहीद हो गयी
एक माँ के बेटे के साथ
मुल्क के भीतर मारा गया
एक नागरिक
उसकी थाली पर
सत्ता की नज़र थी
इक इबादतगाह पर हमला किया
एक धार्मिक संगठन की सेना ने
एक प्रेमी जोड़े को
मौत की सज़ा सुना दी गयी
प्रेम के जुर्म में
किसानों के एक समूह ने
आत्महत्या कर ली
क़र्ज़ के बोझ से
मैंने प्रेम किया नि:स्वार्थ
और असफल हुआ प्रेम में
मेरी कविता शमशान
या किसी कब्रिस्तान में पढ़ी गयी
मेरी मौत के बाद
मुझे तुमने कवि माना
चुपके से!

No comments:

Post a Comment

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...