1.
किसान बोलता नहीं
शोषण की कहानी
कर लेता है ख़ुदकुशी
शोषण की कहानी
कर लेता है ख़ुदकुशी
आदिवासी बोलते हैं
लड़ते हैं अपनी जमीन -जंगल के लिए
पुलिस मार देती है गोली
लड़ते हैं अपनी जमीन -जंगल के लिए
पुलिस मार देती है गोली
छात्र उठाये आवाज़ अपने हक़ के लिए
भर दिए जाते हैं जेल |
भर दिए जाते हैं जेल |
लोकतंत्र की किताब में
ये नये अध्याय हैं !
इन नये लिखे अध्यायों को बदलने के लिए
लड़ना तो होगा |
ये नये अध्याय हैं !
इन नये लिखे अध्यायों को बदलने के लिए
लड़ना तो होगा |
2.
वे चाहते थे कि
मैं भी उनकी भाषा में बोलूं
न बोल सकूं तो कम से कम उनकी भद्दी भाषा का समर्थन करूँ
हमसे हुआ नहीं ऐसा
हम न उनकी भाषा में बोल सकें
न ही उनका समर्थन कर सकें
उन्हें आग लग गई
उनके पास भी गौ रक्षकों की एक पोषित भीड़ है
जो कभी भी
कहीं भी किसी भी विरोधी की हत्या कर सकती है
पीट कर न सही
अपनी भद्दी भाषा में वे किसी की हत्या करने में सक्षम हैं
मैंने अपना दरवाज़ा बंद कर दिया उनके लिए
मैं भी उनकी भाषा में बोलूं
न बोल सकूं तो कम से कम उनकी भद्दी भाषा का समर्थन करूँ
हमसे हुआ नहीं ऐसा
हम न उनकी भाषा में बोल सकें
न ही उनका समर्थन कर सकें
उन्हें आग लग गई
उनके पास भी गौ रक्षकों की एक पोषित भीड़ है
जो कभी भी
कहीं भी किसी भी विरोधी की हत्या कर सकती है
पीट कर न सही
अपनी भद्दी भाषा में वे किसी की हत्या करने में सक्षम हैं
मैंने अपना दरवाज़ा बंद कर दिया उनके लिए
उनके डर से नहीं
अपनी भाषा को बचाने के लिए
हम नहीं गा सकते जयगान
उन्होंने मुझे कुंठित कहा
गद्दार भी
जबकि हमने उनका नमक कभी नहीं खाया
सत्ता के कई रूप हैं
पहचानने का विवेक होना चाहिए।
अपनी भाषा को बचाने के लिए
हम नहीं गा सकते जयगान
उन्होंने मुझे कुंठित कहा
गद्दार भी
जबकि हमने उनका नमक कभी नहीं खाया
सत्ता के कई रूप हैं
पहचानने का विवेक होना चाहिए।
3.
क्यों लिखूं कविता
इस बेशर्म वक्त पर
जब सब तलाश रहें हैं उम्मीद
और उम्मीदें मजबूर हैं आत्महत्या को
यदि आपको लगता है कि
मैं गलत सोच रहा हूँ
तो , बताइए कि क्यूँ बचा नहीं पाए हम अपने किसानों को मरने से
क्यों भूख से मर गये सैकड़ों बच्चें
लड़कियां क्यों डरी हुई हैं
इस बेशर्म वक्त पर
जब सब तलाश रहें हैं उम्मीद
और उम्मीदें मजबूर हैं आत्महत्या को
यदि आपको लगता है कि
मैं गलत सोच रहा हूँ
तो , बताइए कि क्यूँ बचा नहीं पाए हम अपने किसानों को मरने से
क्यों भूख से मर गये सैकड़ों बच्चें
लड़कियां क्यों डरी हुई हैं
चलिए आप यह बता दीजिए कि
किस पर भरोसा करें इस वक्त
जिन्हें चुनकर भेजा था हमने संसद और विधानसभा में
उनका मुखौटा उतर चुका है
ऐसे में आप मुझे बताइए कि
कविता लिख कर क्या करूँगा
कविता अब बाहर निकलना नहीं चाहती
बहुत सहमी हुई है
मेरी तरह ....
किस पर भरोसा करें इस वक्त
जिन्हें चुनकर भेजा था हमने संसद और विधानसभा में
उनका मुखौटा उतर चुका है
ऐसे में आप मुझे बताइए कि
कविता लिख कर क्या करूँगा
कविता अब बाहर निकलना नहीं चाहती
बहुत सहमी हुई है
मेरी तरह ....
4.
तुम्हारे संघर्ष
की कहानी में
छिपी हुई है
मेरी नई कविता
करीब आओ तो
पढ़ सकता हूँ उसे
मैं तुम्हारी आखों में।
छिपी हुई है
मेरी नई कविता
करीब आओ तो
पढ़ सकता हूँ उसे
मैं तुम्हारी आखों में।
5.
वो तमाम कमियाँ
बुराई और कमजोरियां
जो इन्सान में होती हैं
मुझमें भी है |
बुराई और कमजोरियां
जो इन्सान में होती हैं
मुझमें भी है |
शायद
इसलिए
तुमसे करता हूँ
प्रेम !
इसलिए
तुमसे करता हूँ
प्रेम !
6.
नि:शब्द है
हमारा दर्द
आओ,
आँखों से साझा करें इसे
हम, एक -दूजे से
हमारा दर्द
आओ,
आँखों से साझा करें इसे
हम, एक -दूजे से
No comments:
Post a Comment