अँधेरे की शिकायत नहीं करूंगा
रौशनी का एक गुच्छा तुम्हें दूंगा
तुम केवल उसे किसी मार्ग पर लगा देना
ताकि पथिक पहुँच सकें अपनी मंजिल तक
बिना गिरे
रौशनी का एक गुच्छा तुम्हें दूंगा
तुम केवल उसे किसी मार्ग पर लगा देना
ताकि पथिक पहुँच सकें अपनी मंजिल तक
बिना गिरे
उदासी की बात नहीं करूंगा
एक मुठ्ठी मुस्कान दूंगा तुम्हें
तुम उसे बाँट देना
सहमे हुए बच्चों में
एक मुठ्ठी मुस्कान दूंगा तुम्हें
तुम उसे बाँट देना
सहमे हुए बच्चों में
हताश होने पर
तुम्हें सुनाऊंगा क्रांति की महान कहानियाँ
अंधकार रात में
तुम्हें चाँद के किस्से सुनाऊंगा
तनहाई में तुम्हें बताऊंगा सागर की विशालता
हम पंछियों से सुनेंगे
आकाश के बारे में
मरुस्थल में जीवन के बारे में जानेंगे
धूप में रेत को चमकते हुए देखेंगे मिलकर
सर्द मौसम में मीठी होती है
सुबह की धूप
आओ मुस्कुराना सीखें
तुम्हें सुनाऊंगा क्रांति की महान कहानियाँ
अंधकार रात में
तुम्हें चाँद के किस्से सुनाऊंगा
तनहाई में तुम्हें बताऊंगा सागर की विशालता
हम पंछियों से सुनेंगे
आकाश के बारे में
मरुस्थल में जीवन के बारे में जानेंगे
धूप में रेत को चमकते हुए देखेंगे मिलकर
सर्द मौसम में मीठी होती है
सुबह की धूप
आओ मुस्कुराना सीखें
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विक्रम साराभाई और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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