Thursday, December 28, 2017

उसने खोज ली एक बहती नदी मेरी आँखों में

मैं खोज रहा था आग
आँखों में,
उसने खोज लिया प्रेम
मेरी आँखों में
मैं तो खोज रहा था पत्थर
उसने खोज ली एक बहती नदी मेरी आँखों में
दरअसल मेरी आँखों में बहती नदी
उसकी वेदना की कहानी है
मैंने देखा झांक कर उसकी आँखों में
खुद को पा लिया |

No comments:

Post a Comment

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...