शायद यही सज़ा है
इसी तरह जीना है
उम्र भर मुझे
जन्म जो लिया मैंने
इस युग में
इस देश में ।
सदियों पहले
गौतम आए इस देश में
मोक्ष की तलाश में
उन्हें मिला सत्य
बन गए बुद्ध
फिर आए कई
गए कई
इस देश में
आने और जाने का सिलसिला
यूँही जारी रहा
अब मैं हूँ आया
जैसे आए हजारों
मेरे साथ
मेरे बाद
मैं जाना चाहता हूँ
बहुत दूर
जहाँ मिले मुझे आत्म ज्ञान
मिले जहाँ सबको सम्मान
जहाँ न हो कोई अपमान ।
किंतु
शायद ऐसी कोई
जगह नही बची
इस धरा पर आज
और
मुझे
इसी तरह जीना है
इस युग में ।
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