Saturday, October 31, 2009

पहचान खोने लगा हूँ

अपनी सफलताओं , उपलब्धियों को
गिनना चाहता हूँ
कुछ नही
केवल शून्य पाता हूँ ।

निराश नही मैं
किंतु
ख़ुद को पराजित पाता हूँ मैं ।

रोज़ ख़ुद को देखता हूँ
आईने में
अपना चेहरा
बदला - बदला पाता हूँ मैं ।
अपनी पहचान खोने लगा हूँ मैं ।

No comments:

Post a Comment

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...