खाली हाथ
वह लौट आया
मंदिर के दहलीज से
नही ले जा सका
धूप -बत्ती ,नारियल
तो ----
देवता नाराज़ थे
झोपड़ी में
बिलकते रहे
बच्चे भूख से
भगवान
एक भ्रम है
मान लिया उसने
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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