हुसेन जीवित है
ठीक पहले की तरह
हमारे दिलों में
अब बस
हिंदुस्तान की गलियों में
नंगे पांव
उनका शरीर
नही चलता
रोका गया
हुसेन को
चलने से
बतियाने से
तुलिका उठाने से
पर बाज़ीगर
कब मानते हैं ?
यह जो कुछ मुट्ठी भर
भारत भाग्य विधाता हैं
रास न आई उन्हें
मकबूल की परछाई
निकाल दिया
वतन से उन्हें
दे कर लोकतंत्र की दुहाई //
achha hai ,loktantr kee duhai
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