मैं कर सकता हूं
अनुवाद
पीड़ा का , प्रेम का
आंसुओं से
अनुवाद कर सकता हूं
षड्यंत्र और चालाकी का
चुप्पी और मुस्कान से
मण्डली, चोला और बोली देखकर
कर सकता हूं अनुवाद
तुम्हारी अपेक्षाओं का ...
मैं मूक जरूर हूं
पर अचेत नही ......
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
khamoshi ko anuwadit karna mushkil hai-------
ReplyDeleteaur aapki is khamoshi ki takat ko bakhubi bayan karti hai.
one of the best expression ... that i have you... // a complete verse
ReplyDeletesulagta hua maun
ReplyDeleteआभार आप सभी का .....
ReplyDeletewrite sir bt people think silence is weakness which is earliar conceived as weapon
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाई . आपके बारे में सुना था. आज पढ़ भी रहा हूँ . बहुत ही गहरी और संवेदनशील लिखते हो दोस्त.
ReplyDeleteमैं भी हैदराबाद में ही रहता हूँ . कभी फुर्सत मिले तो मिलते है . मेरे ब्लॉग पर आईये : poemsofvijay.blogspot.in
vijay
जी, बहुत आभार ....आप अपना फोन न दीजिए मिलना चाहूँगा .आपके ब्लॉग पर जा रहा हूँ
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