हम दोनों के
बीच की दूरी
यूँ ही बनी रहे
अपनी सफाई देकर
नही करना चाहता खुद पर संदेह
न ही करना चाहता हूँ
तुम्हे शर्मिंदा ....
बीच की दूरी
यूँ ही बनी रहे
अपनी सफाई देकर
नही करना चाहता खुद पर संदेह
न ही करना चाहता हूँ
तुम्हे शर्मिंदा ....
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
Lagta hai gahri chot khae hain bhai.
ReplyDelete:)
ReplyDeleteकुछ बातें परदे में ही भली
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