रात की तन्हाई
क्या बताऊँ तुम्हे
क्या बताऊँ तुम्हे
मेरी तन्हाई में
साझेदार है
उधर रात जागती है मेरे लिए
इधर मैं ,
कहीं रात भी
बेवफा न समझ ले मुझे
उनकी तरह ..........
उधर रात जागती है मेरे लिए
इधर मैं ,
कहीं रात भी
बेवफा न समझ ले मुझे
उनकी तरह ..........
बेहतरीन भाव संयोजन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अहसास...
ReplyDeleteवाह...............
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
इसे कहते हैं प्यार :)
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आप सभी का
ReplyDeleteWah wah...behtareen...adbhut:-)
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