Monday, November 23, 2015

अवसाद के अँधेरे में गुम हो जाता है खिलौना

अख़बारों का एक ढेर
कमरे के कोने में है
और उसी कमरे में
एक पुरानी चारपाई पर पड़ा है
बीमार एक वृद्ध 
कमरे के बाहर जो बड़ा सा मकान है
जिसे सब लोग घर कहते हैं
उन्हें कोई खबर नहीं उस अकेले कमरे की
अख़बार के ढेर में दब कर दम तोड़ रही हैं पुरानी खबरें
और वह वृद्ध

क्या अंतर है
अख़बार के पुरानी खबर में
और तन्हा उस बूढ़े में !
जबकि कमरे के बाहर लगातर हलचल है
तनहाई न सुनाई देती है
न दिखाई देती है
समय के साथ बड़ा होता है शिशु
और भूलता जाता है
अपने खिलौनों को
जिनसे वह दिल बहलाता है
और अवसाद के अँधेरे में गुम हो जाता है खिलौना !
यह किस्सा कहानी तक सीमित नहीं रहता |


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