ट्रेन पहुंच चुकी है गंतव्य पर
मुसाफ़िर के साथ
रात के आकाश पर फ़ैल गया है अंधकार
उदासी में खो गया चाँद
मैं अपने पापों की पोटली ढो रहा हूँ नदी किनारे
गंगा भीग चुकी हैं
अपने ही आंसुओं में
मैं रात भर सो नहीं पाया
तुमसे लड़ने के बाद
आओ मिल जाएँ हम फिर से
तुम सागर बन जाओ
मैं नदी बन जाऊंगा ...
मुसाफ़िर के साथ
रात के आकाश पर फ़ैल गया है अंधकार
उदासी में खो गया चाँद
मैं अपने पापों की पोटली ढो रहा हूँ नदी किनारे
गंगा भीग चुकी हैं
अपने ही आंसुओं में
मैं रात भर सो नहीं पाया
तुमसे लड़ने के बाद
आओ मिल जाएँ हम फिर से
तुम सागर बन जाओ
मैं नदी बन जाऊंगा ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नहीं रहे हरफनमौला अभिनेता सईद जाफरी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद .....आभारी हूँ .....सादर !
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