Sunday, November 1, 2015

तुम्हारा कवि

हर रात सुनता हूँ
किसी की सिसकियाँ
खोजता हूँ उसे
दीखता नहीं कोई अँधेरे में
तब मैं आईना देखता हूँ......
यूँ ही
तुम्हारा कवि



4 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ब्लॉग बुलेटिन: प्रधानमंत्री जी के नाम एक दुखियारी भैंस का खुला ख़त , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. खुद से खुद की बातें … वाह !

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  3. सुन्दर प्रस्तुति , बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको . कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |

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