दिन भर की तमाम
अराजक घटनाओं को झेल कर
खुद को भरोसा देता था
कमरे पर लौट कर
तुमसे लिपट कर रो सकता हूँ मैं
तुमने मुझसे विदा मांग ली
और मैं अनाथ हो गया उस दिन
अराजक घटनाओं को झेल कर
खुद को भरोसा देता था
कमरे पर लौट कर
तुमसे लिपट कर रो सकता हूँ मैं
तुमने मुझसे विदा मांग ली
और मैं अनाथ हो गया उस दिन
अक्सर अब
कमरे में लौट कर
देखता हूँ बुद्ध की उस तस्वीर को
जिसे तुम्हारी पसंद से
हम साथ खरीद लाये थे
अपने 10 / 12 के कमरे की
खाली दीवार के लिए
बुद्ध की वो तस्वीर
आज भी टंगी हुई है
कमरे में लौट कर
देखता हूँ बुद्ध की उस तस्वीर को
जिसे तुम्हारी पसंद से
हम साथ खरीद लाये थे
अपने 10 / 12 के कमरे की
खाली दीवार के लिए
बुद्ध की वो तस्वीर
आज भी टंगी हुई है
मेरे कमरे की दीवार पर
बस अब यह कमरा
हमारा से
मेरा होकर
बहुत तनहा रह गया है
दिन भर जूझता है
अपने अकेलेपन से
मेरी तरह
बस अब यह कमरा
हमारा से
मेरा होकर
बहुत तनहा रह गया है
दिन भर जूझता है
अपने अकेलेपन से
मेरी तरह
तुम बताओ
खुश तो हो न
अपने भरे -पूरे घर में
इनदिनों
मुझसे आज़ादी के बाद ?
खुश तो हो न
अपने भरे -पूरे घर में
इनदिनों
मुझसे आज़ादी के बाद ?
इस कमरे में
उन 30 दिनों की
यादों के सिवा
कुछ भी नहीं बचा है
मेरे पास |
उन 30 दिनों की
यादों के सिवा
कुछ भी नहीं बचा है
मेरे पास |
#तुम्हारा कवि सीरिज से
No comments:
Post a Comment