Tuesday, February 28, 2017

अमन के पक्षधर हैं जो

गाँधी शांति के पक्षधर थे
एक उग्र राष्ट्रवादी ने उनकी हत्या कर दी
क्या हुआ था महान मार्टिन लूथर किंग के साथ
याद कीजिये जरा 
4 अप्रैल 1968 को
जब वे अपने होटल के कमरे की बालकनी में खड़े थे ?
उनको भी मार दी गयी थी गोली
आज़ादी के पक्ष जिनका कोई योगदान नहीं
वे केवल हत्या करना जानते हैं
गुरमेहर भी युद्ध के पक्ष में नहीं है
उसने अमन की वकालत की है
उसे भी डरा रहे हैं
आज के नव राष्ट्रवादी !
अमन के पक्षधर डरते नहीं
युद्ध मानवता के पक्ष में नहीं
विनाश का पर्याय है
हर युद्ध
आखिरकार दो महायुद्धों के बाद भी
तमाम शक्तियों को
शांति वार्ता के लिए आना पड़ा था
एक टेबल पर |
किन्तु,
वो याद किसे है ?
युद्धोन्माद अँधा बना देता है
अक्ल से |

No comments:

Post a Comment

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...