घटनाएं
निंदनीय नहीं होती
न ही दुखद होती हैं
क्योंकि निंदा या अफ़सोस से
घटनाएं बदल नहीं जाती
निंदनीय नहीं होती
न ही दुखद होती हैं
क्योंकि निंदा या अफ़सोस से
घटनाएं बदल नहीं जाती
घटनाएं घटने के लिए होती हैं
पर घटती नहीं
बढ़ती जाती है
समय और विकास के साथ
पर घटती नहीं
बढ़ती जाती है
समय और विकास के साथ
जो कुछ होता है
घटनाओं में लिप्त
मनुष्य का होता है
घटनाओं में लिप्त
मनुष्य का होता है
करने वाला भी
और भोगने वाला भी वही
और भोगने वाला भी वही
हाँ,कुछ घटनायें
भयानक होती है
आज की तरह |
भयानक होती है
आज की तरह |
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