अभी -अभी लौटा हूँ
ऑफिस से
रास्ते में ऑटो वाले भैया ने
खैनी बना कर दिया
उन्हें लगा
मैं भी बिहारी हूँ
वे मोतिहारी के थे |
ऑफिस से
रास्ते में ऑटो वाले भैया ने
खैनी बना कर दिया
उन्हें लगा
मैं भी बिहारी हूँ
वे मोतिहारी के थे |
कितना अच्छा लगता है
जब कोई अनजान
पहली बारी में आपको
अपना समझने लगे
जब कोई अनजान
पहली बारी में आपको
अपना समझने लगे
उन्होंने मुझे
मेरी भाषा से पहचाना
मतलब उन्हें बिलकुल पता न चला
कि मैं ,
बिहारी नहीं
बंगाली हूँ |
मेरी भाषा से पहचाना
मतलब उन्हें बिलकुल पता न चला
कि मैं ,
बिहारी नहीं
बंगाली हूँ |
ऐसे में आप ही बताइए
मैं कैसे कहता उनसे कि
मैं, बिहारी नहीं
बंगाली हूँ
हिंदी में लिखता हूँ !
मैं कैसे कहता उनसे कि
मैं, बिहारी नहीं
बंगाली हूँ
हिंदी में लिखता हूँ !
मेरी भाषा ने
मुझे एक अनजान से दोस्ती करवाई
भाषा उधार की नहीं होती
मुझे एक अनजान से दोस्ती करवाई
भाषा उधार की नहीं होती
भाषा,
केवल भाषा होती है
एक पहचान की
जिससे हम खोज लेते हैं
इस अनजान दुनिया में
किसी बिछड़े हुए
अपने को |
केवल भाषा होती है
एक पहचान की
जिससे हम खोज लेते हैं
इस अनजान दुनिया में
किसी बिछड़े हुए
अपने को |
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "मैं सजदा करता हूँ उस जगह जहाँ कोई ' शहीद ' हुआ हो ... “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभार आपका |
Deleteभाषा,
ReplyDeleteकेवल भाषा होती है
एक पहचान की
जिससे हम खोज लेते हैं
इस अनजान दुनिया में
किसी बिछड़े हुए
अपने को |
...बिलकुल सच कहा है...बहुत सटीक प्रस्तुति
आभार , सर |
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