यदि तुम
और मैं ,
बन जाते रेल पथ
दूरी रहती हमारे बीच
फिर भी , हम साथ –साथ चलते
मंजिल तक
हमारे सीने पर
जब गुजरती
भारी –भारी गाड़ियां
हम साथ –साथ कांपते
पर , चलते साथ –साथ
मंजिल तक दर्द के अनुभवों के साथ
कोई कर्मचारी
आकर लगा जाता ग्रीस
हमारे जोड़ों पर
जंग से बचाने को हमें
हम साथ –साथ चलते
मंजिल तक ......||
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