Monday, August 20, 2012

वो खुश था खिलाकर मुझे , अपने हिस्से की रोटी

आज मैं ३१ वर्ष का हो गया , दोस्तों ने शुभकामनाओं की ढेर लगा दी ..बहुत अच्छा लगा . आज ही एक  अनोखे अंदाज़ में मैंने ईद और जन्मदिन मनाया .आपके साथ साझा कर रहा हूँ ......
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5 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता.....
    आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं....
    लेखनी चलती रहे ..अनवरत.....
    खुश रहें..

    अनु

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  2. बहुत -बहुत शुक्रिया अनु जी

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  3. achchi kavita k liye dhanyawad bhai sab.

    thanks
    shailesh

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  4. बहुत ही प्रभावी रचना ...

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...