आज मैं ३१ वर्ष का हो गया , दोस्तों ने शुभकामनाओं की ढेर लगा दी ..बहुत अच्छा लगा . आज ही एक अनोखे अंदाज़ में मैंने ईद और जन्मदिन मनाया .आपके साथ साझा कर रहा हूँ ......
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जन्मदिन ,ईद
मनाकर
अभी लौटा हूँ
एक मजदूर भाई की झोंपड़ी से
पसीने से तर
फटी गंजी से लिपटा हुआ
उसका जीर्ण तन देखकर लौटा हूँ मैं
लकड़ी के कुछ टुकड़ों में
मनाकर
अभी लौटा हूँ
एक मजदूर भाई की झोंपड़ी से
पसीने से तर
फटी गंजी से लिपटा हुआ
उसका जीर्ण तन देखकर लौटा हूँ मैं
लकड़ी के कुछ टुकड़ों में
डाल कर अपनी साँसों की हवा
उसने पकाई दो रोटी
मुझे परोस दिया
नमक ,चटनी के साथ
फिर पिलाई बीड़ी
वो खुश था खिलाकर
मुझे , अपने हिस्से की रोटी
उसके सूखे चेहरे पर
देखकर खुशी की पतली एक लकीर
मैं भी खुश हूँ आज बहोत....
उसने पकाई दो रोटी
मुझे परोस दिया
नमक ,चटनी के साथ
फिर पिलाई बीड़ी
वो खुश था खिलाकर
मुझे , अपने हिस्से की रोटी
उसके सूखे चेहरे पर
देखकर खुशी की पतली एक लकीर
मैं भी खुश हूँ आज बहोत....
बहुत सुन्दर कविता.....
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं....
लेखनी चलती रहे ..अनवरत.....
खुश रहें..
अनु
बहुत -बहुत शुक्रिया अनु जी
ReplyDeleteachchi kavita k liye dhanyawad bhai sab.
ReplyDeletethanks
shailesh
Thank you Shailesh ji
Deleteबहुत ही प्रभावी रचना ...
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