Tuesday, August 28, 2012

क्या भूल सकता है नाग डसने की कला ?

सदियों तक जो
शोषक रहे
बन बैठें आज मसीहा
ऐसा सम्भव है क्या
क्या भूल सकता है नाग
डसने की कला ?

वे सदियों तक 
दबाते रहे  हमें 
कुचलते रहें 
नकारते रहें हमारी नश्ल को 
पानी की तरह बहाया खून हमारा 
और खेलते रहे होली 

आज सदियों बाद 
विचलित हैं 
कि कैसे उठ खड़े हुए हम 
क्यों बनी थोड़ी पहचान हमारी 

नही ,नाग कभी नही भूलता 
डसने की कला 
बस हमें ही रहना होगा सजग 
और सावधान ...

2 comments:

  1. किसी की आदत नहीं बदलती ....
    पर सीखकर अधिक पारंगत होता है चेला - जैसे मनुष्य ने जो डंसना सीखा सांप से तो उस विष को उतारना संभव नहीं हुआ - सांप का विष तो उतर भी जाए !

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    1. क्या बात कही है आपने रश्मि जी ....बहुत सही.

      धन्यवाद

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