Saturday, August 4, 2012

साज़िस की जड़ें


बड़ी ज़हरीली होती हैं
साज़िस की जड़ें
बड़ी तेजी से फैल रही हैं , ये जड़ें
हमारे भीतर
हमारे खून में घुल कर
रूप बदल –बदल कर
कभी टी.वी. के रास्ते
कभी भोजन से होकर
फैशन के बहाने
कभी कपड़ों में लिपट कर
बाज़ार के रास्ते से
घुस चुकी हैं ,
हमारे समाज में
हम देख रहे हैं
चौखट पर खड़े , निहत्था 
असहाय योध्या की तरह .....

5 comments:

  1. बिल्‍कुल सही कहा आपने ...

    ReplyDelete
  2. सत्य वचन....
    गहन भाव.............

    अनु

    ReplyDelete
  3. शुक्रिया सदा जी , अनु जी ,Happy Friendship day ...

    ReplyDelete
  4. ये साजिश हम ही कर रहे हैं अपने विरुद्ध ... और देख भी नहीं पाते ...

    ReplyDelete
  5. good.....
    अपने गूंगेपण को दूर करो दिन बीतते ही
    और अपने बुद्धिमान ललाट के बल
    मृत कर दो इन दैत्यों को
    जो आराम कर रहे है आपकी खाट पर

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...