Saturday, February 11, 2017

बहुत खारा है शहर का पानी

शहर खुबसूरत है
और बदसूरत है शहर का स्वभाव
यहाँ कम्पूटर ही नहीं
आदमी भी 'हैक' हो जाता है
सब लोग नहीं 
पर अधिकतर
शकुनी मामा भी पानी -पानी हो जाते
जो अब की आते आधुनिक इन्द्रप्रस्थ में
चेहरे पर मुस्कान लिए
फ़रेब वाले सब बना लेते उन्हें दोस्त
और बता देते
षडयंत्र कैसे किए जाते हैं
ये आधुनिक शहर
बदल देते हैं दोस्ती की नियत
राजधानी है तो
राजनीति भी होगी
सच बोलने पर मिलती है धमकी
उठाएंगे सवाल चरित्र पर
सबूत बनाएं जाएंगे
जीत के लिए
ईमानदारी किस जन्तु का नाम है ?
पीड़ा में भी हंसने की कला शहर के बाजारों में मिल जाएगी
आप देहाती हैं
यही गुनाह है
ऐसा नहीं कि पूरा गाँव बहुत ईमानदार होता है
पर शहर जितना शातिर भी नहीं होता
शहर मतलब व्यापार केंद्र
ये शहर आपको
भीड़ में तन्हा कर देता है
कल ही पिंटू लौट गया अपने गाँव
उसने कहा बहुत खारा है
शहर का पानी !

3 comments:

  1. आज की ब्लॉग बुलेटिन जन्मदिन भी और एक सीख भी... ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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