Saturday, August 11, 2012

तुम्हारे बिखराए शब्दों को

तुम्हारे बिखराए शब्दों को 
समेटकर , लगा दिया है मैंने 
पंक्तियों में डाल कर 
छंद बनाया है |
देखो एक नज़र 
बनी है कोई कविता 
या कोई मिलन गीत ?

2 comments:

  1. या कोई प्रेम गीत!!!!! जो रच डालेगा इतिहास नया...
    अनु

    ReplyDelete

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...