कौन है
जो हर शाम तुम्हारी गली में आकर
तुम्हारे घर के नीचे
लगाता है चक्कर ?
मत कहो कि --
तुम नही जानती हो उसे
कभी नही देखा आज से पहले उसे
ठीक सूरज ढलते समय
तुम भी तो खोलती हो
सड़क की तरफ वाली खिड़की
और देखती हो बेचैन नज़रों से
सड़क की ओर
और वह बांका छोरा
गर्दन घुमाये देखता है तुम्हें
मुस्कुराकर //