Sunday, August 25, 2019

पर सवाल है - बे लापता क्यों है ?

न तो मैं खुश हूँ
न उदास हूँ इनदिनों
बस हैरान हूँ
शर्मिंदा हूँ
तुम्हें देर से पहचानने के लिए
मुक्तिबोध ने कल फिर पूछा -बताओ , पार्टनर -अपनी पॉलिटिक्स !
क्या कहता भला मैं !
ख़ामोश रहा
आज ख़ामोशी ही सफलता का मार्ग है
क्यों ? आप नहीं महसूस कर रहे हैं क्या एक गहरी चुप्पी उन लोगों की
जिन पर कभी नाज़ था आपको ?
मुक्तिबोध का सवाल अकेले मेरे लिए नहीं
उन सबके लिए है आज
जिन्हें हमने आँखों पर बैठा कर क्रांतिकारी कहा था
मनुष्य समझा था
किन्तु वे सभी महज एक स्वार्थी, डरपोक जीव निकले
पद, पुरस्कार, सम्मान के लालच में उन्होंने धोखा दिया मनुष्यता को
हमारे विश्वास को
दरअसल वे हमारे पक्ष में कभी नहीं रहे
उन्हें अपना पक्ष साधना था
हमारी हर भावना का उपहास किया मन ही मन हमेशा
अन्याय के विरुद्ध मुर्दाबाद अब कहा नहीं जाता उनसे
इसलिए हमसे आँखें चुरा रहे हैं
वे अब गंगा नहा रहे हैं
पर हम हताश नहीं हुए हैं
जो धोखा सा हुआ था
अब टूट चुका है
किन्तु मेरी प्रतिबद्धता अब भी अडिग है
अभी -अभी तो आईना देखा हूँ
भय भला क्या बिगाड़ लेगा मेरा
'साहिर ' अब नहीं पूछते -
"जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ? "
विद्रोही मेरे कान में कह रहे हैं -
"उनको भी पता है , तुमको भी पता है ,
सबको पता है , ये कहाँ बेपता बात है ?"
चलो , फिर अच्छा है , अब सबको पता है
पर सवाल है - बे लापता क्यों है ?

आओ, चंद्रयान की यात्रा करें हम !

चन्द्रयान 2 ने चाँद की सतह की
पहली तस्वीर भेजी है
धरती पर गटर साफ करने उतरे
5 मजदूरों ने दम तोड़ दिया है
लोग चाँद की सतह की तस्वीर देख कर आनंदित और उत्साहित हैं
धरती के स्वर्ग में सन्नाटा है
नौकरी से निकाले गये युवक ने
जहर खाकर आत्महत्या कर ली है
उधर हत्या के आरोपी जेल से छुटे हैं
जय श्री राम के नारों के साथ उनका स्वागत हो रहा है
राष्ट्र नायक नये-नये परिधानों में ट्विटर पर मुस्कुराते दिखाई दे रहे हैं
मंदिरों को भव्य रूप में सजाया गया है
बाहर कुछ बच्चे भोजन के लिए भीख मांग रहे हैं
पत्रकारों की संस्था ने सत्ता का दामन थाम लिया है
राष्ट्रहित ही सर्वोपरी है
धार्मिक पहचान
अब नागरिकता का आधार बन चुकी है
जल, जंगल, जमीन की लड़ाई में शामिल लोग
अपराधी घोषित हो चुके हैं
भूख, बेरोजगारी, शिक्षा, शोषण, आदि के सवाल राष्ट्र का अपमान है
आओ, चंद्रयान की यात्रा करें हम !

Wednesday, August 14, 2019

कल क्या करेंगे

जो बोल रहे हैं 
बहुत संभव है कि एक दिन मार दिए जायेंगे 
मेरी चिंता वो नहीं है 
मैं सोच रहा हूँ उनके बारे में 
जो अब तक ख़ामोश हैं 
कल क्या करेंगे
जब इंसानी लाशों की बदबू
उनके घरों तक फैलेगी ?

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...