Sunday, November 17, 2019

इंसाफ अनाथ होता है

क्रांति के नाम पर आचार बन रहा है
मेरी गली में
अखण्ड रामायण पाठ हो रहा है
पंचों ने कह दिया -
देव वहीं गर्भगृह में जन्मे थे
उसी का उत्सव हो रहा है
गोबर के उपले अमेज़न में बिक रहा है
भक्ति चैनल पर आसाराम के बोल
अब भी बोले जाते हैं
पहलू खान की आत्मा
भोलाराम का जीव बन कर इंसाफ मांग रही है
रोहित वेमुला एक और चिट्ठी लिख रहा है
नज़ीब की माँ ने सुप्रीम कोर्ट को मंदिर मान लिया है
इंसाफ की चाह में
देवता किसी का होता है क्या ?
जज भी किसी का नहीं होता
पुलिस सरकार की होती है
सेना भी
इंसाफ अनाथ होता है
इसे पाने के लिए
बल, धन और गवाह चाहिए
और इन सबके लिए
बेईमानी चाहिए
अफराजुल, जुनैद को भूल गए
कलबुर्गी, गौरी लंकेश तो याद है न ?
सब हार गए
सत्ता पाने के बाद अपराध मिट जाते हैं
बिना वीजा कहीं जाइये
कुछ भी बकिये
मन है
मन की बात कहिये
सब सुनेंगे
सुनाए जाएंगे
प्यार !
कबूतर उड़ा दो
शांति का पैगाम कहा जायेगा
हमारे तो तोते ही उड़ गए हैं
पर हम बेशर्म हैं
जीए जा रहे हैं ।

Wednesday, November 13, 2019

राजा खुश है ढह गया एक देश

कवि ने लिखा देश गीत
शौर्य,वीरता
संस्कृति परम्परा और
समृद्ध सभ्यता की गाथा
सैकड़ों बच्चों ने भूख से दम तोड़ दिया एक साथ
उसने एक कविता लिखी फूल पर
एक तितली मर गई
नदी, झरने, पहाड़ खामोश रहे
पर जंगल के पेड़ चीखे
उसने सुना नहीं
वो राष्ट्रगान में सावधान खड़ा था
जंगल कट गया
पहाड़ टूट गया
नदी बंध गई
झरने ...?
गुमशुदा हैं
जंगल गया
पर जंगल के लोग कहां गए ?
सिपाही आये थे
कुछ लाशें मिली खून से भीगी हुई
कवि ने लिखी सिपाहियों की वीरता पर कविता
राजा ने उसे भरे दरबार में पुरस्कार दिया
न्यायालय ने कुछ नहीं कहा
स्कूल तोड़े गए
न्यायाधीश ने माना
भगवान का जन्म हुआ था
मंदिर बनेगा
बहुमत की आस्था के सम्मान में
राजा ने सुनाई तंत्र-मंत्र की कहानी
वैज्ञानिकों ने ताली बजाई
सूर्य को जल चढ़ाए
राजा खुश है
उसका छोड़ा अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा
जीत गया
ढह गया एक देश।

Sunday, November 10, 2019

अगले चुनाव में मुद्दा क्या होगा ?

अगले चुनाव में
मुद्दा क्या होगा ?
क्या होगा पाकिस्तान होगा
फिर चीन होगा
न रोजगार होगा , न भूख होगा
तो क्या शिक्षा और स्कूल होगा ?
पागल है क्या ?
वो क्यों होगा ?
हाथी का सूंड़ होगा
एनआरसी होगा,
मंदिर का लोकार्पण होगा
अच्छा !
और गाय, गंगा का क्या होगा ?
न न ये अब पुराना माल नहीं बिकेगा
अब गाय, गोबर , गंगा नहीं
अब फिर कहीं दंगा होगा ।
लोकतंत्र का हवन होगा
किसान होगा , मजदूर कोई मुद्दा होगा ?

फिर ?
अब फिर अर्बन नक्सल मुद्दा होगा
मंदिर का डिजाइन होगा
कश्मीर में निवेश होगा
बुलेट ट्रेन होगा
पुल का निर्माण होगा
महंगाई का क्या होगा ?
अपराध का क्या होगा ?
हरामी कुत्ते बहुत सवाल करता है
देश में सब ठीक है और तुझे बेचैनी हो रही है ?
रुक तेरी चर्बी उतारते हैं ।

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...