Thursday, September 26, 2013

दोस्ती और दुश्मनी के बीच

दोस्ती और दुश्मनी के बीच
बचा हुआ रहता है
एक रिश्ता, किन्तु 
अभी तक हम खोज नही पाए हैं
कोई मुकम्मल नाम इसका 


यकीनन हम सभी तलाशते रहते हैं
मिठास और कडवाहट से परे
कुछ क्षणों के लिए शिथिल पड़ चुके
रिश्ते के लिए 
एक मकबूल नाम
जिससे कर सके संबोधन
एक –दूजे को

हम मनुष्य हैं
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है
कि हम अलग नही कर पाते
अपने अहं को
हमारी अपेक्षा हमेशा
दूसरों से ही होती है
और इसी तरह बनी रहतीं हैं दरारें
रिश्तों में
जिसे भर नही पाता

कोई भी सीमेंट 

Wednesday, September 4, 2013

नही उगा पाये हम कभी अमन के फूल ....

अमन के वास्ते 
हमने बाँट ली 
अपनी -अपनी सरहदें 
पर हर नई सरहद ने जन्म दिया 
एक नई जंग को 
अपने -अपने चमन में 
नही उगा पाये हम 
कभी अमन के फूल ....
और मरते रहें 
अपनी -अपनी मौत .......

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...